**ब्रह्मविहार** (Brahmavihara)

 


**ब्रह्मविहार** (Brahmavihara) बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण और गहरे आध्यात्मिक अभ्यास है। इसे **"आध्यात्मिक निवास"** या **"उच्च स्थिति"** के रूप में भी जाना जाता है। ब्रह्मविहार का उद्देश्य मानसिक और भावनात्मक स्थिरता, करुणा और दया को बढ़ावा देना है। इसमें चार प्रमुख गुण होते हैं, जिन्हें निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है:

### 1. **मैत्री (Metta)**

**पालि में**: **"Metta"**

**हिंदी में**:

- **परिभाषा**: मैत्री का मतलब है बिना शर्त प्रेम और स्नेह। यह एक ऐसी भावना है जिसमें हम सभी जीवों के प्रति अनकंडीशनल प्यार और शुभकामनाएं व्यक्त करते हैं। 

- **विवरण**: इस भावना में दूसरों के प्रति कोई भेदभाव या शर्तें नहीं होतीं। इसमें सभी प्राणियों के लिए सुख और भलाई की कामना की जाती है। मैत्री का अभ्यास हमें आत्मकेंद्रित और स्वार्थी विचारों से बाहर लाता है, और सभी प्राणियों के प्रति समान और स्नेहपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है। 

- **अभ्यास**: इसके लिए ध्यान और साधना के दौरान हम अपने और दूसरों के लिए शुभकामनाएं भेजते हैं, जैसे “सभी प्राणियों को सुख मिले,” “सभी प्राणियों को शांति मिले।” यह भावना हमें स्वार्थ और नकारात्मक भावनाओं से मुक्त कर देती है।

### 2. **करुणा (Karuna)**

**पालि में**: **"Karuna"**

**हिदी में**: 

- **परिभाषा**: करुणा का तात्पर्य है दूसरों की पीड़ा और दुःख को समझना और उनकी सहायता करने की भावना। यह एक गहरी दया और सहानुभूति की अवस्था है।

- **विवरण**: इसमें दूसरों की समस्याओं और कष्टों के प्रति संवेदनशीलता और सहानुभूति होती है। करुणा हमें उनके दुःख को महसूस करने और उनकी स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रेरित करती है। यह हमें उनके कष्टों को कम करने के प्रयासों में शामिल करती है और हमें उनके साथ एक भावनात्मक और मानसिक जुड़ाव का अनुभव कराती है।

- **अभ्यास**: करुणा का अभ्यास दूसरों की पीड़ा को समझने और सहन करने के साथ-साथ उनकी मदद करने के प्रयासों में किया जाता है। इसमें सामाजिक कार्य, परोपकार, और दूसरों के लिए सहायता प्रदान करने की भावना शामिल है।

### 3. **मuditā (Mudita)**

**पालि में**: **"Mudita"**

**हिंदी में**: 

- **परिभाषा**: मuditā का अर्थ है दूसरों की खुशी और सफलता में खुशी और आनंद महसूस करना। इसे **"सुखदायिनी खुशी"** भी कहा जाता है।

- **विवरण**: इसमें दूसरों की सफलता, खुशी और समृद्धि को देखकर आनंदित होना शामिल है। यह आत्म-केन्द्रित भावना को पार करता है और दूसरों की खुशी में पूरी तरह से शामिल होता है। Mudita हमें दूसरों की सफलता से ईर्ष्या या जलन के बजाय खुशी महसूस करने की क्षमता प्रदान करती है।

- **अभ्यास**: इसका अभ्यास दूसरों की खुशियों को स्वीकार करने और उनकी सफलता में सचमुच खुश रहने में किया जाता है। इसमें दूसरों की उपलब्धियों का उत्सव मनाना और उनकी खुशी को साझा करना शामिल है।

### 4. **उप्पेखा (Upekkha)**

**पालि में**: **"Upekkha"**

**हिंदी में**: 

- **परिभाषा**: उप्पेखा का तात्पर्य है मानसिक संतुलन और समान दृष्टिकोण बनाए रखना। इसे **"संतुलन"** और **"उदासीनता"** भी कहा जाता है।

- **विवरण**: इसमें किसी भी स्थिति, खुशी या दुःख के प्रति समान और संतुलित दृष्टिकोण रखना शामिल है। इसका मतलब है कि न तो अत्यधिक खुशी से प्रभावित होना और न ही अत्यधिक दुःख से विचलित होना। Upekkha मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति हर स्थिति में शांत और स्थिर रह सकता है।

- **अभ्यास**: इसका अभ्यास करने के लिए व्यक्ति को अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करने की जरूरत होती है, ताकि वे किसी भी बाहरी स्थिति से प्रभावित न हों। ध्यान और साधना के माध्यम से यह गुण विकसित किया जाता है, जिससे व्यक्ति हर स्थिति में समान भावनात्मक संतुलन बनाए रख सकता है।

**सारांश में**, **ब्रह्मविहार** का उद्देश्य एक व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक विकास को प्रोत्साहित करना है, ताकि वे दूसरों के साथ एक दयालु, सहानुभूति और संतुलित तरीके से संबंध स्थापित कर सकें। इन चार गुणों का अभ्यास एक व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से उच्च और मानसिक रूप से संतुलित जीवन जीने में मदद करता है।

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