तीन लक्षण (Tilakkhaṇa) के प्रकार

 


तीन लक्षण (Tilakkhaṇa) के प्रकार

  1. अनित्य (Anicca) - अस्थायित्व:

    • पालि में: "Anicca"
    • हिंदी में: अस्थायित्व या परिवर्तनशीलता। यह लक्षण यह दर्शाता है कि सभी वस्तुएँ, घटनाएँ, और अनुभव अस्थायी हैं और निरंतर परिवर्तनशील होते हैं। किसी भी वस्तु या अनुभव का स्थायी अस्तित्व नहीं होता, और यह हमेशा बदलता रहता है।
  2. दुख (Dukkha) - दुःख:

    • पालि में: "Dukkha"
    • हिंदी में: दुःख या पीड़ा। यह लक्षण यह दर्शाता है कि सभी संवेदनाएँ, अनुभव, और स्थितियाँ अंततः दुःख का कारण बनती हैं। यह न केवल शारीरिक पीड़ा को, बल्कि मानसिक और भावनात्मक असंतोष को भी संदर्भित करता है।
  3. अनत्ता (Anattā) - अनात्मा:

    • पालि में: "Anattā"
    • हिंदी में: अनात्मा या आत्मा की गैर-अस्तित्व की अवधारणा। यह लक्षण यह दर्शाता है कि कोई स्थायी, स्थिर आत्मा या आत्म की अवधारणा नहीं होती। सभी धातु और अनुभव अस्वायत्त होते हैं और स्वायत्त आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं होता।

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