धम्मपद: अप्पमादवग्ग (Appamādavagga) - सावधानी का अध्याय
धम्मपद: अप्पमादवग्ग (Appamādavagga) - सावधानी का अध्याय
गाथा 21
पालि:
अप्पमादो अमतपदं, पमादो मच्चुनो पदं।
अप्पमत्ता न मीयन्ति, ये पमत्ता यथा मता।।
हिंदी अनुवाद:
सावधानी अमरता का मार्ग है, असावधानी मृत्यु का मार्ग है।
सावधान लोग नष्ट नहीं होते, पर असावधान लोग मानो मरे हुए हैं।
व्याख्या: सावधानी निर्वाण की ओर ले जाती है, जबकि असावधानी व्यक्ति को आध्यात्मिक मृत्यु की ओर ले जाती है। सावधान व्यक्ति जीवन में सजग रहता है, जबकि असावधान व्यक्ति उद्देश्यहीन होता है।
गाथा 22
पालि:
एतं विसेसतो ञत्वा, अप्पमादम्हि पण्डिता।
अप्पमादे पमोदन्ति, अरियानं गोचरे रता।।
हिंदी अनुवाद:
इस विशेषता को जानकर, बुद्धिमान लोग सावधानी में रमते हैं।
वे सावधानी में आनंदित होते हैं और श्रेष्ठ लोगों के मार्ग में रत रहते हैं।
व्याख्या: बुद्धिमान व्यक्ति सावधानी के महत्व को समझकर उसका पालन करते हैं और उसमें आनंद पाते हैं। वे अरहंतों के पवित्र मार्ग का अनुसरण करते हैं।
गाथा 23
पालि:
ते झायिनो साततिका, निच्चं दळ्हपरक्कमा।
फुसन्ति धीरा निब्बानं, योगक्खेमं अनुत्तरं।।
हिंदी अनुवाद:
वे ध्यान करने वाले, निरंतर प्रयत्नशील और दृढ़ संकल्प वाले लोग,
बुद्धिमान लोग निर्वाण को प्राप्त करते हैं, जो सर्वोत्तम सुरक्षा और शांति है।
व्याख्या: ध्यान और दृढ़ता से युक्त व्यक्ति निर्वाण प्राप्त करते हैं, जो सभी बंधनों से मुक्ति और परम शांति का स्थान है।
गाथा 24
पालि:
उट्ठानवतो सतिमतो, सुचिकम्मस्स निसम्मकारिनो।
संयतस्स च धम्मजीविनो, अप्पमत्तस्स यसोभिवड्ढति।।
हिंदी अनुवाद:
जो व्यक्ति उत्साही, स्मरणशील, शुद्ध कर्म करने वाला, विचारशील,
संयमित और धर्मानुसार जीवन जीने वाला है, उस सावधान व्यक्ति की कीर्ति बढ़ती है।
व्याख्या: सावधानी, उत्साह, शुद्ध आचरण और धर्म के साथ कार्य करने वाले व्यक्ति का यश बढ़ता है।
गाथा 25
पालि:
उट्ठानेनप्पमादेन संयमेन दमेन च।
दीपं कयिराथ मेधावी, यं नं नभं न संनति।।
हिंदी अनुवाद:
उत्साह, सावधानी, संयम और आत्म-नियंत्रण के द्वारा,
बुद्धिमान व्यक्ति ऐसा द्वीप बनाता है, जिसे बाढ़ नहीं डुबा सकती।
व्याख्या: यहाँ "द्वीप" आध्यात्मिक शरणस्थल का प्रतीक है, जो व्यक्ति को संसार की बाढ़ (कामनाओं और दुखों) से बचाता है।
गाथा 26
पालि:
पमादमनुयुञ्जन्ति, बाला दुम्मेधसो जना।
अप्पमादमनुयुञ्जन्ति, यं परं सत्तुच्छं।।
हिंदी अनुवाद:
मूर्ख और कमबुद्धि लोग असावधानी में लीन रहते हैं,
जबकि बुद्धिमान लोग सावधानी को सर्वश्रेष्ठ रत्न मानते हैं।
व्या ख्या: मूर्ख असावधानी को अपनाते हैं, जबकि बुद्धिमान सावधानी को अनमोल मानते हैं।
गाथा द
गा 27
पालि:
पमादमनुयुञ्जन्ति, बाला दुम्मेधसो जना।
न च कामसुखं साधु, यं च कामं नज्झति हि।
खेमं निब्बानगामिं चव्ह, हितं तम्पि च लालसति।।
हिंदी अनुवाद:
मूर्ख लोग काम सुख में लिप्त रहते हैं, जो अच्छा नहीं है।
जो व्यक्ति काम सुख की इच्छा नहीं करता, वह शांति और निर्वाण की ओर जाता है।
वह ऐसा सुख चाहता है, जो हितकारी हो।
व्याख्या: यह गाथा काम सुख की क्षणभंगुरता को दर्शाती है और निर्वाण के स्थायी सुख की ओर प्रेरित करती है।
गाथा 28
पालि:
पमादं अप्पमादेन, यदा नुदति पण्डितो।
पञ्ञापासादमारुय्ह, असोको सोकिनिं पजं।
पब्बतट्ठोव भुमट्ठे, धीरो बाले अवेक्खति।।
हिंदी अनुवाद:
जब बुद्धिमान व्यक्ति असावधानी को सावधानी से दूर करता है,
वह ज्ञान के महल पर चढ़कर, शोक-रहित होकर शोकग्रस्त लोगों को देखता है।
जैसे पर्वत पर खड़ा व्यक्ति नीचे के लोगों को देखता है, वैसे ही धीर पुरुष मूर्खों को देखता है।
व्याख्या: सावधानी से युक्त बुद्धिमान व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर शोक-रहित हो जाता है और मूर्खों की स्थिति को समझता है।
गाथा 29
पालि:
अप्पमत्तो पमत्तेसु, सुतो जागरतं बहुं।
आजानीयोव जोतन्तो, खरो हायति दुग्गमं।।
हिंदी अनुवाद:
असावधान लोगों में सावधान, सोए हुए लोगों में जागृत,
बुद्धिमान व्यक्ति तेजस्वी घोड़े की तरह आगे बढ़ता है, मंद गति वालों को पीछे छोड़कर।
व्याख्या: सावधान और जागृत व्यक्ति तेजी से आध्यात्मिक प्रगति करता है, जबकि असावधान लोग पीछे रह जाते हैं।
गाथा 30
पालि:
अप्पमादेन मघवानों, सग्गं सुगतिमज्झगा।
अप्पमादो सदा पसत्थो, पमादो गरहितो सदा।।
हिंदी अनुवाद:
सावधानी के द्वारा मघवा (इंद्र) ने स्वर्ग और सुख प्राप्त किया।
सावधानी की सदा प्रशंसा की जाती है, और असावधानी की सदा निंदा होती है।
व्याख्या: यहाँ मघवा (इंद्र) का उदाहरण देकर बताया गया है कि सावधानी से उच्च पद प्राप्त होता है। असावधानी निंदनीय है।
गाथा 31
पालि:
अप्पमादरतो भिक्खु, पमादे भयदस्सिवा।
संयोजनं अणुं थूलं, डहं अग्गीव मुच्चति।।
हिंदी अनुवाद:
सावधानी में रमने वाला भिक्षु, असावधानी में भय देखने वाला,
छोटे-बड़े बंधनों को, जैसे आग जंगल को जलाती है, वैसे जला देता है।
व्याख्या: सावधान भिक्षु सभी बंधनों (काम, क्रोध आदि) से मुक्त हो जाता है, जैसे आग सब कुछ भस्म कर देती है।
गाथा 32
पालि:
अप्पमादरतो भिक्खु, पमादे भयदस्सिवा।
अभब्बो परिहानाय, निब्बानस्सेव सन्तिके।।
हिंदी अनुवाद:
सावधानी में रमने वाला भिक्षु, असावधानी में भय देखने वाला,
पतन के लिए असमर्थ है, वह निर्वाण के समीप होता है।
व्याख्या: सावधान भिक्षु कभी आध्यात्मिक पतन नहीं करता और निर्वाण के बहुत निकट पहुँच जाता है।
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